
आप सभी को "भगवान श्री जगन्नाथ जी" की "रथ-यात्रा" की बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं.....!
जगत के नाथ जनन्नाथ जग दर्शन को हैं निकलेंगे आज,
ये दिन बड़े ही दुर्लभ होते दौड़ पडो छोड़ सब काज ||1||
भक्त वत्सल भगवान मंदिर से निकल आये हैं,
दया , करुणा , वत्सलता सब पर ही बरसाए हैं ||2||
एक बार जो कर ले दर्शन कोटि जन्म के पाप कट जाए,
खींच लिया जो रस्सा रथ का जन्म-मृत्यु की रस्सी कट जाए ||3||
प्रभु के नखरे भक्त की ठिठोली, शरारतें प्रभु की भक्त की बोली,
कभी वो रथ पर ही नही आते, कभी चलते- चलते रुक जाते ||4||
अगर दर्शन देना चाहते कहीं तो फिर प्रभु वही रुक जाते,
आज भक्त भगवान के पास नही भगवान भक्त के पास हैं आते ||5||
ऐसी ही लीलाएं प्रभु की सुलभ होती सबके लिए,
जगन्नाथ आज निकले हैं दाऊ , सुभद्रा को साथ लिए.||6||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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