
भीतर है सखा तेरा सखा मन लगा के देख ,
अंतःकरण में ज्ञान की ज्योति जला के देख |
है इन्द्रियों की शक्तियाँ बाहर की ओर जो ,
बाहर से तोड़ करके अंदर से जोड़ दो ,
कर सकल द्वार बंद समाधि लगा के देख ||१||
शुद्ध आत्मा में अपनी रचना का ध्यान कर ,
निश्चय ही झूम जायेगा महिमा का गान कर ,
श्रद्धा की रूठी हुई देवी मना के देख ||२||
साखी पवित्र देव है बिगड़ी बने न क्यूँ ,
जीवन ये मेरा भक्ति के रस में भीगे न क्यूँ ,
आत्मा के आनंद का जीवन बना के देख ||३||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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