
लेते जाओ रे हरि का नाम थोड़ा थोड़ा ।
थोड़ा थोड़ा, थोड़ा थोड़ा, थोड़ा रे
झूठ कपट व्यापार में हुआ सबेरा शाम ,
एक बार भी प्रेम से लियो न हरि का नाम
लेते जाओ रे हरि ||1||
धन दौलत से एक दिन खाली होगा हाथ ,
प्रभु का ही संबंध इक, जायेगा तेरे साथ
नित गाओ रे हरि ||2||
जो करना है जल्दी कर क्यूं बैठा है मौन ,
पलपल में तो प्रलय है, कल की जाने कौन
जल्दी गायेजा हरि ||3||
कहीं न उसको ढूंढना कर मन में विश्वास ,
गुरु कृपा को देखकर, आता है प्रभु पास ।
अब तो गाओ रे हरि ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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