
वादा करके श्याम न आये.
तडपत विरह में नैन हमारे,
न आई खबरिया,न कोई पाती ,
रहति विरह में जलत दिन राती.
छलिये को मेरी सुध न आई,
काहे को मैंने सुध गँवाई ||1||
आ तो जाते एक पहर में ,
डाल दीन्हि मोहे विरह भंवर में
मैं थी कुमति मत की मारी
कैसे निष्ठुर से प्रीति लगाई ||2||
श्याम छवि लियो ह्रदय सजाय,
कौन भूल की दियो सजाय.
उमक हुमक चमकत जाती,
कान्हा की कोई खबर जो पाती ||3||
वर्षा बीत, शीत ऋतू आई,
सब जन आये, श्याम न आये.
तडपत विरह में नैन हमारे,
वादा करके श्याम न आये ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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