
उद्धार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े।
भव पार करो भगवान तुम्हरी शरण पड़े॥
कैसे तेरा नाम धियायें ,
कैसे तुम्हरी लगन लगाये।
हृदय जगा दो ज्ञान तुम्हरी शरण पड़े॥1||
पंथ मतों की सुन सुन बातें,
द्वार तेरे तक पहुंच न पाते।
भटके बीच जहान तुम्हरी शरण पड़े॥2||
तू ही श्यामल कृष्ण मुरारी ,
राम तू ही गणपति त्रिपुरारी।
तुम्ही बने हनुमान तुम्हरी शरण पड़े॥3||
ऐसी अन्तर ज्योति जगाना,
हम दीनों को शरण लगाना।
हे प्रभु दया निधान तुम्हरी शरण पड़े॥4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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