
आज श्याम तेरी मै मुरली बजाऊं ,
मोर मुकुट से खुद को सजाऊं ,
मधुवन में जाके गैया चराऊ ,
राधा से आज कान्हा बन जाऊं |
बजाने दे मुरली मुझको कान्हा ,
देखूं आखिर क्या है इसमें बात |
धुन इसकी सुन भागी हम आती ,
देखे नही हम क्यूँ दिन और रात ||1||
जब चाहूँ बुला लू बजाके के तुमको ,
इसलिए मै सदा रखता इसे साथ |
तुझसे मिलने का जरिया है मुरली ,
और नही है प्रिय कोई है बात ||2||
मै भी बड़ी नादान हूँ कान्हा ,
छोटी-सी बात भी समझ न आये |
ये लो मैंने लौटा दी मुरली ,
मेरे लिए ही तो तू मुरली बजाय ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: