
सावन का महीना, झुलावे चित चोर,
धीरे झूलो राधे पवन करे शोर।
मनवा घबराये मोरा बहे पूरवैया,
झूला डाला है नीचे कदम्ब की छैयां।
कारी अंधियारी घटा है घनघोर ||1||
सखियां करे क्या जाने हमको इशारा,
मन्द मन्द बहे जल यमुना की धारा।
श्री राधेजी के आगे चले ना कोई जोर ||2||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: