
सौंपूं सब नन्दलाल को ,
ऐसा हो ना पाए |
भटके मन हो बावरा ,
नहीं पकड़ में आय |
छोड़ दिया हरि कथा को ,
फिरता मस्त मलंग |
जिससे छूते श्याम संग ,
ढूंढें ऐसा रंग ||1||
कोयल बोले बांसुरी ,
कौवा फाटा ढोल |
भक्त मुखर होते सखी ,
लिए प्रभु के बोल ||2||
लिख आनंद किलोल को ,
कर लीला का साथ |
दिखा कर सृष्टि सकल ,
छुप गए गोपीनाथ ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा '
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