
करुना सुनो श्याम मेरी
मैं तो होय रही चेरी तेरी ॥
दरसन कारन भयी बावरी ,
बिरह व्यथा तन घेरी |
तेरे कारन जोगन हूँगी ,
दूंगी नगर बिच फेरी ,
कुञ्ज बन हेरी हेरी ||1||
अंग बभूत गले मृग छाला,
यूं तन भसम करूंगी |
अजहूँ न मिल्या श्याम अबिनासी,
बन बन बीच फिरुंगी
रोऊँ नित हेरी फेरी ||2||
जब मीरा को गिरिधर मिलिया ,
दुःख मेटन सुख भेरी ।
रोम रोम साका भई उर में ,
मिट गयी फेरा फेरी
रही चरनन तर चेरी ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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