
आज का नाता नहीं ये , बरसों का ये साथ है
अब तो प्यारे साँवरे का ,मेरे सर पर हाथ है ||
हो गई इनकी महर तो मिल रही मंजिल मुझे ,
कोई तुफ़ानो से कह दे मिल गया साहिल मुझे ,
है सहायक श्याम वरना , अपनी क्या औकात है ||१||
ज़िन्दगी के पथ में माना फूल भी काँटे भी हैं ,
भोर की किरणे सुखद और गम की कुछ रातें भी हैं ,
अपने सुख का साथी हर पल दीनानाथ हैं ||२||
श्याम की मस्ती में डुबा तो मज़ा आने लगा ,
लौ लगी घनश्याम से तो मैं भजन गाने लगा ,
कह रहा " गंभीर " अपने दिल में जो भी बात है ||३||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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