
धुन- ये तो प्रेम की बात है उद्धो
कोई पूछे तो उसको बतायें , कहाँ रमता मिलेगा कहैया
जहाँ होते हैं सन्त समागम , वहाँ बसता मिलेगा कन्हैया |
चाहे मथुरा में जाकर के ढूँढो , या गोकुल में जाकर बुलाओ ,
जाकर कुँज गलिन में पुकारो , रास रचता मिलेगा कन्हैया || १ ||
चाहे पनघट पे जा के निहारो , इसे यमुना के तट पे पुकारो ,
वहाँ चुपके से गुजरी को देखो , छेड़ करता मिलेगा कन्हैया || २ ||
चाहे पढ लेना सारी रामायण , ज्ञान भगवत का ह्रदय में भरलो ,
तुझे गीता जी के पन्ने में प्यारे , प्रेम करता मिलेगा कन्हैया || ३ ||
चाहे ग्वालों की टोली में ढूँढो , या गुजरियों से जाकर के पूछो ,
" हर्ष " राधे जी का ह्रदय टटोलो , वहाँ हँसता मिलेगा कन्हैया || ४ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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