
चन्दो भी फीको पड़ गयो रे ,साँवारियो जादू कर गयो रे ,
तेरा तो लाड़ लाड़ावा रे , तेरी म्हें नज़र उतारा रे |
ऐसो सज्यो है रूप सँवारा , सबके मनड़ भायो ,
घर के आँगन में आज सांवरो , लिले चढ़ कर आयो
भगतां रो मनड़ो हर गयो रे || १ ||
भांत भांत का फूल मँगाया ,गजरो आन बनायो ,
पहरेगा म्हारा कान्हाँ , म्हारें मन में हेत सवायो ,
प्रेम मुदित मनड़ो भर गयो रे || २ ||
ब्रम्हा विष्णु शिवशंकर भी ,थारे सागे आया ,
अर्ज़ी हे साँवारिया थांसू , करदयो मन का चाया ,
" संजू " भी शरणे पड़ गयो रे || ३ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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