
अपने चरणों की रज साँवरे दीजिये ज़िन्दगी हमारी सँवर जाएगी |
लाख अवगुण भरे हैं गिनायें तो क्या , शर्म खुद पर बहुत है बतायें तो क्या, माफ़ गर ना करोगे दयालु हमें , ज़िन्दगी ये हमारी बिखर जायेगी || १ ||
आप दाता दयावान दानी बड़े , कितने पापी चरण रज को पाकर तरे , महिमा चरणों की भगवन है मालूम हमें . राह सत्संग की हमको मिल जायेगी || २ ||
अब निभालो निभालो कन्हैया हमें , अपने चरणों से अब तो लागलो हमें , " नन्दू " वादा करे साँवरे हम खड़े , उर्म दर पे तुम्हारे गुज़र जायेगी || ३ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: