
धुन- छू कर मेरे मन को
कान्हा मेरे मन में कब आना तेरा होगा स्वाँसों की लय पे हरदम है ये तराना | मन में आस तेरी , नैन तुझे ढूंढे , कभी इन कानो को , बन्सी की तान सुने, छूकर चरणों को , चरणों में बिछ जाना || १ || पास मेरे स्वामी , सुमिरन का साधन , ना ही जप तप है , ना कोई योग आसन , इतनी ही भगती , करता है ये दीवाना || २ || सेवा भी करता हूँ , पूजा भी करता हूँ , मन्दिर में जाऊं , भजन भी करता हूँ, फिर भी नहीं मन में , पाया तेरा ठिकाना || ३ || ''जय श्री राधे कृष्णा ''
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