चाहे जितना ले ले कान्हाँ , काहे को तरसता है

चाहे जितना ले ले कान्हाँ , काहे को तरसता है



चाहे जितना ले ले कान्हाँ , काहे को तरसता है
ये प्यार भक्तों की , कुटिया में बरसता है |

कुटिया का हर तिनका , मिलने को तरसता है,
कुटिया के छप्पर से , बस प्रेम टपकता है,
कुटिया में रहने वाला , तेरा नाम जपता है || १ ||

घर पे जो आवोगे , वापस नहीं जाओगे,
ये प्यार गरीबों का तुम , भूल नहीं पाओगे,
एक बार आने में , तेरा क्या बिगड़ता है || २ ||

भीलनी की कुटिया से वो प्यार ले आये ,
वो झूठे बेरों का उपहार ले आये,
ये किस्सा सुनने वाला , तुझे अपना समझता है || ३ ||

गर वापस जाओगे , दिल छोड़ के जाओगे,
तुम आधे रस्ते से , फिर वापस आओगे,
" बनवारी " दिल तेरा मेरा , एक जैसा लगता है || ४ ||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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