
धुन- तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ दुनियाँ से सहारा क्या लेना , तेरा एक सहारा काफी है कुछ करने की क्या जरुरत है , तेरा एक इशारा काफी है | धन दौलत का क्या करना है , इन महलों का क्या करना है जिन्दगानी चार दिनों की है , चरणों में गुज़ारा काफी है || १ || माना दुनियाँ रंगीन तेरी , हर चीज़ बनाई है तुमने देखूँ तो क्या क्या देखूँ प्रभु , बस तेरा नज़ारा काफी है || २ || बैकुण्ठ नहीं स्वर्ग नहीं , मुझे मुक्ति का क्या करना है " बनवारी " भजन करूँ जीवन , मिल जाए दुबारा काफी है || ३ || ''जय श्री राधे कृष्णा ''
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