सूरत की रूप की प्रभु , तारीफ़ क्या करूँ,

सूरत की रूप की प्रभु , तारीफ़ क्या करूँ,




धुन- मिलती है ज़िन्दगी में सूरत की रूप की प्रभु , तारीफ़ क्या करूँ, देखा नहीं है आपको , कैसे बयाँ करूँ |
कहते हैं लोग आपको , घुंघराले केश हैं, सूरत सलोनी आपकी , केशरिया भेष है, मुझको दिखादो इक झलक , तब ही यकीं करूँ || १ || मैंने सुना है आपकी , महिमा विशाल है, कलयुग में श्याम नाम की , जलती मशाल है, देखूँ नहीं मैं जब तलक , विशवास क्या करूँ || २ || मुझको दरश दिखाईये , सूरत दिखाईये , दर्शन दिखाके सँवारा , संशय मिटाईये, कहता " रवि " है फिर प्रभु , खुल के बयाँ करूँ || ३ || ''जय श्री राधे कृष्णा ''

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