रोज रोज तुम्हे क्या बतलावु अपने मन की बात,

रोज रोज तुम्हे क्या बतलावु अपने मन की बात,



तर्ज- बार बार मे तुम्हे पुकारू रोज रोज तुम्हे क्या बतलावु अपने मन की बात, छोटी सी अर्जी मेरी,अब तो सुनो है नाथ | कब से तुम्हे पुकार रहा है दास तेरा, तुम आवोगे ये पक्का विशवास मेरा, तेरे भरोसे काट रहा हूँ,संकट के दिन रात ||1|| तेरी बाट निहार रही अखियाँ मेरी, अंतर्यामी श्याम लगायी क्यू दैरी, क्षमा करो है दीन दयालु,मेरे सब अपराध ||2|| नजर दया की करदो है करुणा सागर, करता हूँ अरदास संभालो अब आकर, बीत गई सो बात गयी अब,रख दो सिर पर हाथ ||3|| "बिन्नू" की अर्जी को अब स्वीकार करो, दास हूँ तेरा मुझको मत इंकार करो, तुम ही मेरे इष्ट देव हो,तूम ही हो पितु मात.||4|| .''जय श्री राधे कृष्णा ''

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