बज रहा,बज रहा,बज रहा रे

बज रहा,बज रहा,बज रहा रे



तर्ज- लुट रहा...
बज रहा,बज रहा,बज रहा रे श्याम का डंका बज रहा रे
श्याम नाम की अमृत धारा, इस कलियुग मे बहती है, अनहोनी को होनी करदे,ऐसी इसमें शक्ति है ||1||

इस डंके मे ऐसे गुण है,किस्मत की रेखा बदले, तुफानो मै दीपक जलता,बिन पानी के नाव चले.||2||

उत्तर दक्षिण,पूरब पश्चिम,दशो दिशाए गूंज रही, श्याम के प्रेमी मिल जायेंगे, जावोगे तुम जहाँ कही ||3||

श्याम नाम का डंका जिस दिन,घर घर मे बज जायेगा, "बिन्नू" उस दिन इस धरती पर, स्वर्ग उतर कर आएगा ||4||

''जय श्री राधे कृष्णा ''






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