
धुन- है प्रीत जहाँ की रीत सदा
श्री श्याम धणी की जिस घर में , ये ज्योत जगाई जाती है उस घर का भक्तों क्या कहना , हर पल खुशियाँ मुस्काती है |
जो रोज सवेरे उठ करके , श्री श्याम को शीश नवाते हैं , जो नाम श्याम का लेकर के ही , घर से बाहर जाते हैं, ज्योति की भभूति श्रद्धा से , माथे पे लगाई जाती है...उस घर का... || १ ||
जहाँ श्याम को भोग लगा करके , भोजन परोसा जाता है, उस भोजन को कम ना समझो , वो तो प्रसाद बन जाता है, उसके तो एक एक दाने में , श्री श्याम कृपा मिल जाती है... उस घर का...|| २ ||
जो मन के सच्चे भावों से , श्री श्याम को भजन सुनाते हैं , कैसा उसका दीवानापन , तन मन की सुध बिसराते हैं, जहाँ माता अपने बच्चों से , श्री श्याम श्याम बुलवाती है...उस घर का... || ३ ||
ऐसे प्रेमी के घर में तो , मेरा श्याम धणी बस जाता है , उस घर की चिन्ता श्याम करे , घर का मालिक बन जाता है, " बिन्नू " उस घर के कण कण से , मन्दिर की खुशबु आती है...उस घर का...|| ४ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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