उडी उडावन लागे लाल

उडी उडावन लागे लाल




उडी उडावन लागे लाल । सुंदर पथक बांध मनमोहन बाजत मोरन के ताल |
कोऊ पकरत कोऊ एंचत कोऊ देखत नैन विशाल । कोऊ न कोऊ करत कुलाहल कोऊ बजत बोहो करताल ॥२॥
कोऊ गुड गुडीसों रीझ आपुन खेंचत डोर रसाल । "परमानंद" स्वामी मनमोहन रीझ रहत एक ही तत्काल ॥३॥

''जय श्री राधे कृष्णा ''

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