पूजा कभी न होती, वंदन कभी न होता
published on 26 September
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तर्ज़- चूड़ी मज़ा न देगी, कंगन मज़ा न देगा
पूजा कभी न होती, वंदन कभी न होता,भक्तों बगैर कोई, भगवन कभी न होता |
भक्ति में शक्ति कितनी, सागर में नीर जितनी, भक्ति से ही पनपती, शक्ति यँहा है जितनी, भक्ति बिना प्रभु का, अर्चन कभी न होता ||1||
गीतों की सृष्टि होती, भजनों की वृष्टि होती, जब भाव व्यक्त होते, प्रभु मन की तृप्ति होती, भजनों बिना तो कोई, कीर्तन कभी न होता ||2|| भक्तों ने जब बुलाया, तब ही तो दौड़ा आया, कैसा है रिश्ता बोलो, किसने इसे बनाया, ये डोर जो ना होती, बँधन कभी न होता ||3||
ये भक्त जो न होते, तो कीर्तन कँहा से होते, कहता "रवि" है इतना, सब बेखबर ही सोते, जन मन में नाम तेरा, गुँजन कभी न होता ||4||
रविन्द्र केजरीवाल"रवि"
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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