बैठा हूँ मैं श्याम शरण में , श्याम नाम गुण गाऊँ
published on 26 September
leave a reply
धुन- प्यासे पंछी नीलगगन के
बैठा हूँ मैं श्याम शरण में , श्याम नाम गुण गाऊँ मैं तो मौज उड़ाऊँ सौंप दिया है श्याम को जीवन , फिर मैं क्यों घबराऊँ मैं तो मौज उड़ाऊँ |
श्याम सुरक्षा चक्र है मेरा , मैं निर्भय रहता हूँ, इसको अपने दिल की बातें , बेखटके कहता हूँ, ऐसा साथी मिला है मुझको , क्यों ना मैं इतराऊँ || १ ||
दूनियाँ की परवाह नहीं है , दूनियाँ से क्या लेना, पीछे मुड़ कर क्यों देखूँ मैं , श्याम से लड़ गये नैणा, आँखों आँखों में प्रियतम से , बोलूँ और बतलाऊँ || २ ||
स्वारथ के संसार में मुझको , लगते सब अनजाने, कौन है अपना कौन पराया , भेद कोई ना जाने, जो अपना है जनम जनम से , उद्को खूब रिझाऊँ || ३ ||
इसको छोड़ नहीं सकता मैं , ये मुझको छोड़े ना,
" बिन्नू " जगवाले मुँह मोड़े , ये मुखड़ा मोड़े ना, प्रेम का है ये तो गठबन्धन , तोड़ कहाँ मैं जाऊँ || ४ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: