
बडे भाग से फागुन आयो री
होरी खेलूँगी श्याम संग जाय, सखी री बडे भाग से फागुन आयो री ॥१॥
वो भिजवे मेरी सुरंग चुनरिया, मैं भिजवूं वाकी पाग ॥२॥
चोवा चंदन और अरगजा, रंग की पडत फुहार ॥३॥
लाज निगोडी रहे चाहे जावे, मेरो हियडो भर्यो अनुराग ॥४॥
आनंद घन जेसो सुघर स्याम सों, मेरो रहियो भाग सुहाग ॥५॥
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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