
तर्ज- दुल्हे का सेहरा
फागुन का महिना सुहाना आया है, झुमने का फिर बहाना आया है, खाटू के मेले आना सब कोई, बाबा को हेलना सुनाने आया है |
फिर वही दरबार है श्याम की झाँकी, जल रही है ज्योति, मेरे श्याम पियारे की, फिर वही दरबार लगाने आया है ||1||
आ रही एकादशी की रात प्यारी है, द्वादश के भंडार की तो बात न्यारी है, भक्ति का फिर से खजाना आया है ||2||
श्याम पियारे का है न्योता श्याम भक्तो को, जाके दर्शन से मिटालो अपने कष्टों को, खाटू वाले का जमाना आया है ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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