वन्दन करकै, सुमिरण करकै,

वन्दन करकै, सुमिरण करकै,



तर्ज़-चन्दन सा बदन,चँचल चितवन
वन्दन करकै, सुमिरण करकै,थारै नाम की अलख जगावाँ हाँ | ओ खाटू वाला, श्याम धणी,थारै नाम को कीर्तन गावाँ हाँ || म्है प्रथम मनावाँ गणपत नै, गुरु पितरां को म्है ध्यान धरां, शिव शंकर हनुमत कै सागै, माँ राणीसती को मान करां, थारै चरणां माँहि ध्यान धरां, म्है थारी किरपा चाहवाँ हाँ ||1|| घी और गट सै थारी, ज्योत करां, म्है धुप और दीप जलावाँ हाँ, घिस घिस चन्दन के..शर थारै,माथे पै तिलक लगावाँ हाँ, म्हारै सिर पर थारो हाथ धरो, थारै चरणां मं धोक लगावाँ हाँ ||2|| बुँदिया भुजिया, लाडू पेड़ा, म्है छप्पन भोग बणावाँ हाँ, म्है करां सवामणी चुरमै की,थारै खीर को भोग लगावाँ हाँ, कह्वै दास "रवि" म्हारी अरज़ सुणो, थारै नाम की आरती गावाँ हाँ ||3|| वन्दन. . . .
रविन्द्र केजरीवाल"रवि"

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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