आई रे आई - फागुन की ये अलबेली रुत आई

आई रे आई - फागुन की ये अलबेली रुत आई



धुन- माई नु माई मुंडेर पे तेरे

आई रे आई - फागुन की ये अलबेली रुत आई मेले माँहीं खाटू बुलाले , या ही अरज लगाई-बाबा हो |

जो हो ज्याव , किरपा थारी , साथीड़ा संग आस्यां चोखा चोखा , छाँट छाँटकर , थाने भजन सुनास्यां सुनो हे बाबा , दर्शन थारा , होवे है सुखदाई || १ ||

छोटो सो यो बालक थारो , थासुँ इतना चावे थारी शरण में रखल्यो म्हान , गुण थारा ही गावे छोटी सी या अर्ज है म्हारी , करल्यो श्याम सुनाई || २ ||

भूल चूक जे हो कोई तो , भोलो जान भुलायजो ऐसा नहीं हो इस बालक न , चरणां से छिटकाज्यो " कैलाश " करो प्रभु किरपा थारी , अस्यां साल सवाई || ३ ||


''जय श्री राधे कृष्णा ''

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