
मेरौ माई माधो सों मन लाग्यो ।
published on 27 September
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मेरौ माई माधो सों मन लाग्यो ।
मेरौ नैन अरु कमलनैनको
इकठोरो करि मान्यो ||1||
लोक बेदकी कानि तजी मैं
न्यौति अपने आन्यो ||2||
इक गोबिन्द चरनके कारन
बैर सबनसों ठान्यो ||3||
अबको भिन्न होय मेरी सजनी
दूध मिल्यो जैसे पान्यो ||4||
परमानंद मिली गिरधर सों
है पहली पहचानयो ||5||
जय श्री राधे कृष्ण
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