हम पागल है पागल वृंदावन धाम के ,

हम पागल है पागल वृंदावन धाम के ,





हम पागल है पागल वृंदावन धाम के , वृंदावन धाम के श्री श्यामा श्याम के | डोले श्याम नाम के पागल वृन्दावन पागल खाने में , मस्ती में मस्त है रहते मिले पागलपन नज़राने में , मन तू भी पागल होजा बस तान तरंग में खोज, चढ़ जाए नशा फिर तुझको नाम के जाम में ||1|| पूरे मन से जो लग जाता वो लगकर तुझे पा लेता है, सदा अंग संग हरि रहता पर ध्यान ना कोई देता है ,. कोई झुठे नाम के पागल कोई सच्चे श्याम के पागल, यहां दूर दूर तक पागल जगत तमाम मे ||2|| कितने हुए अब तक पागल इनकी न कोई समाई, मीरा, कर्मा, विधुरानी, सबरी, गोपाली बाई पावन भक्तो के चरित्र ह्रदय को करे पवित्र, पागल करे चित्र विचित्र श्री राधा नाम से ||3|| जय श्री राधे कृष्ण

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