
तर्ज़-मेरा आपकी कृपा से,हर काम हो
अब श्याम के भरोसे, गुजरेगी ज़िन्दगानी, मेरा कुछ कंही नहीं है,अब बात मैंने जानी |
जैसे हाल में रखोगे, वैसे ही मैं रहूँगा, मैं तो हूँ साँवरे का, हरदम यही कहूँगा, मेरे साथ साथ रहता, खाटू का शीश दानी ||1||
मेरी ज़िन्दगी का मालिक, मेरी स्वांसों का खिवैया, भव के भँवर से वो ही, कर देगा पार नैया, उसे धड़कनों में बाँधू ,अब मन में मैंने ठानी ||2||
अब श्याम के बिना तो, निष्प्राण ज़िन्दगानी, कहता "रवि" जंहा में, हर चीज़ है बेगानी, बस इक वही है मेरा, यही इक गति है पानी ||3||
रविन्द्र केजरीवाल " रवि "
जय श्री राधे कृष्ण
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