
धुन- प्यार दीवाना होता है
श्याम तेरा दरबार अनूठा मन को भाता है
जो सकून मिलता है कोई कह नहीं पाता है |
ठाठ हैं निराले तेरे दरबार के
चर्चे जगत में होते श्रृंगार के
सिंहासन पर बैठा बैठा तूँ मुस्काता है || १ ||
बाँटते हो खुशियाँ सबको दिल खोल के
खजाना लुटाते अपना बेमोल के
आने वाले हर कोई लेकर ही जाता है || २ ||
दर्शन से दिल की कलियाँ खिलती याहाँ
मुरझाये मन को शान्ति मिलती याहाँ
जब जब हम दरबार में आते आनन्द आता है || ३ ||
" बिन्नू " की प्राथना है बुलाते रहो
तेरे प्रेमियों से हमको मिलाते रहो
मिलता है जो प्रेमी तेरे ही गुण गाता है || ४ |
जय श्री राधे कृष्ण
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