
राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया में ,
नीलमणि ही जड़ाऊँगी अपने मन की मुंदरियाँ में |
राम का नाम प्यारा लगे ,रसना पे बिठाऊँगी मैं,
मृदु मूरत बसाऊँगी नैनों की पुतरिया में ||1||
हैं झूठे सभी रिश्ते और झूठे सभी नाते,
दूजा रंग न चढ़ाऊँगी अपनी श्यामल चदरिया में ||2||
जल्दी से जतन करके राघव को रिझाना है ,
कुछ दिन ही तो रहना है काया की कोठरिया में ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
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