
धुन- अफ़साना लिख रही हूँ
मोहन का जलवा जबसे , नैनों में छा गया अनजानी प्रीत जुड़ गई , मस्ती में आ गया |
बाँकी अदा घनश्याम की , दीवाना कर गई आँखे रसिक घनश्याम की , मस्ताना कर गई अमृत अधरों से श्याम ने मुझ पर लूटा दिया || १ ||
दीवानगी में क्या मज़ा , मैं कैसे जताऊँ आनन्द क्या मिला मुझे , मैं कैसे बताऊँ बंसी की टेर छेड़ के मुझको जगा दिया || २ ||
दिल में हमारे नित रहे , प्रभु प्यार तुम्हारा जग छोड़ दे तो छोड़ दे , रहे साथ तुम्हारा " नन्दू " दिलवर दिलदार पे दिल मेरा आ गया || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
0 Comments: