
धुन- इस जहाँ की नहीं है तुम्हारी आँखें
आज किसने ये तुमको संवारा कान्हां
चान्द धरती पे किसने उतारा कान्हाँ |
तेरा सांवल सा मुखड़ा ये बाँकी अदा
तेरी चितवन पे कान्हाँ हुए हम फ़िदा
हमने रह रह के तुझको निहारा कान्हाँ || १ ||
रूपराशि का गहरा समन्दर है तूँ
किस जुबाँ से कहे कितना सुन्दर है तूँ
चैन दिल से चुराया हमारा कान्हाँ || २ ||
तेरे भक्तों पे ये कैसी ये मदहोशियाँ
होश खो बैठे छाई है बेहोशियाँ
" हर्ष " वश में जिया ना हमारा कान्हाँ || १ ||
जय श्री राधे कृष्णा
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