
श्रीनाथजी हमारे ऐसे रसिया
दाऊजी हमारे ऐसे रसिया
मुझे बुलावे बालो घडी-घडी ।।
चार चौक रो मन्दिर बन्यो है – २
आप बिराजे बालो छप्पर तली ॥1॥
रतन चौक में झूमें हाथी- २
कमल चौक में भीड़ पडी ॥2॥
दोड़-दौड़ दरसन कुं आऊं -२
झापट मारे फड़ा फडी ॥3॥
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे -२
मुख पर मुरली अधर धरी ॥3॥
मिसरी माखन भोग लगत है -२
दूध रो प्याली लियां खडी ॥4॥
सब सखियन मिल रास रच्यो है -२
वृन्दावन की कुंज गली ॥5॥
नंद-दास प्रभु या छबि निरखत -२
चरण शरण में आन पडी ॥6॥
जय श्री राधे कृष्णा
0 Comments: