
भवसागर पड़ी मेरी नैया,
अब आ जा रे मेरे कन्हैया
कहीं डूब ना जाऊं मझधार में,
मेरी नैया का बन जा खिवैया |
बीच सभा में जब द्रौपदी ने तुमको टेर लगाई थी,
प्रेम के बंधन में बंध कर तूने बहन की लाज बचाई थी,
जब द्रौपदी ने तुमको पुकारा ,
आया बहना का बन के तू भैया ||1||
सखा सुदामा से साँवरिया तूने निभायी थी यारी,
मीरा के विष के प्याले को अमृत कर दिया बनवारी,
नानी,नरसी ने तुझको पुकारा ,
आया आया तू बंशी बजैया ||2||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
0 Comments: