
धुन- छोड़ गये बालम
बिच भंवर में है ,
मेरी नैया कन्हैया पार करो || टेर ||
है भारी तूफ़ान डगर में , और किनारा दूर
काले काले बादल सर पे , छायें हैं मजबूर || १ ||
तुम ही प्रभु दुखियों के साथी , आओ तुम्हें पुकारूँ
दिनों के हितकारी माधव , तन मन तुम पे वारूँ || २ ||
तुमने मुखड़ा मोड़ लिया क्यों , हे घनश्याम बतदो
नहीं किनारे चातक प्यासा , बैठा प्यास बुझादो || ३ ||
डगमग डोले जीवन नैया , हो गई नाव पुरानी
" शिव " चरणों में आय सुनाई , अपनी करुण कहानी || ४ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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