
धुन- मोहब्बत की झूठी कहानी
दयालु तुम्हारी दया चाहता हूँ-दया चाहता हूँ
चरणों में थोड़ी जगह चाहता हूँ-जगह चाहता हूँ |
अज्ञानता ने डेरा जमाया , किया मन को चंचल ऐसा लुभाया
ले लो शरण में शरण चाहता हूँ-शरण चाहता हूँ || १ ||
उठे चाहे आँधी तूफ़ान आये , मेरे मन को भगवन डीगा नहीं पाए
विश्वास ऐसा तेरा चाहता हूँ-तेरा चाहता हूँ || २ ||
नज़रें करम गर हुई ना तुम्हारी-रहेगी उजड़ती आशा की क्यारी
खिले फूल गुलशन सदा चाहता हूँ-सदा चाहता हूँ || ३ ||
विनती सुनो ना मेरी कन्हैया , मिले भीख तेरी दया की कन्हैया
" नन्दू " दीवाना बनना चाहता हूँ-बनना चाहता हूँ || ४ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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