रे मन हरि सुमिरन करि लीजै

रे मन हरि सुमिरन करि लीजै



रे मन हरि सुमिरन करि लीजै |

हरिको नाम प्रेमसों जपिये, 
हरिरस रसना पीजै ||1||

हरिगुन गाइये, सुनिये निरंतर, 
हरि-चरननि चित दीजै ||2||

हरि-भगतनकी सरन ग्रहन करि, 
हरिसँग प्रीति करीजै ||3||

हरि-सम हरि जन समुझि मनहिं मन ,
तिनकौ सेवन कीजै ||4||

हरि केहि बिधिसों हमसों रीझै,
सो ही प्रश्न करीजै ||5||

हरि-जन हरिमारग पहिचानै, 
अनुमति देहिं सो कीजै ||6||

हरिहित खाइये, पहिरिय हरिहित, 
हरिहित करम करीजै ||7||

हरि-हित हरि-सन सब जग सेइये, 
हरिहित मरिये जीजै ||8||


जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्

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