
धुन- धारा जो बह रही है
ईकबार मेरे घर पे , सरकार आ भी जाओ
मैं रोज आ रहा हूँ , इकबार तुम भी आवो ||
कब से तुम्हें पुकारूं , तुम क्यों नहीं हो सुनते
तेरे दरश के सपने , " मैंरे नैन रोज बुनते "-2
सपने , न टूट जाये , सपने सजा के जावो || १ ||
ये प्रीत पूछती है , प्रेमी मेरा कहाँ है
मनमीत मेरा प्यारा , " वो साँवरा कहाँ है " -2
मेरे प्यार का सिला दो , वादे वफ़ा निभाओ || २ ||
मेरी ज़िन्दगी के मालिक , मुझपर तरस तो खावो
कहता " रवि " साँवरिया , " नज़रें नहीं चुरावो " -2
इसबार छिपाना छोडो , जरा सामने तो आवो || ३ ||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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