
जय श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारे
हम हैं तुम्हारे , हम हैं तुम्हारे ,
राधा के प्यारे , नन्द के दुलारे
बंशी बजाये यमुना किनारे
राजभोग छोड़ शाक विदुर घर खाए
माखन मिश्री प्रभु को खूब भाये
तीन लोक के होकर स्वामी , रथ अर्जुन का चलाये ||१ ||
मेरी आँखों के तुम हो तारे
इस जीवन के आप ही सहारे
नैया लगा दो अब तो किनारे ||२ ||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
0 Comments: