कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला ।

कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला ।



कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला ।
घनश्याम की अदाओं ने बेमौत मार डाला ॥

क्या पूछते हो हमसे, पहचान उनकी क्या है ।
सर पे मुकुट है बांका, गल वैजन्ती माला ॥1||

कुंडल कपोल बांके, है नयन इनके बांके ।
बंसी मधुर बजाये, है श्याम रंग का काला ॥2||

माधव की छबि बांकी, चितवन है उनकी बांकी ।
है कमल नैन बांके, बांका हैं नन्द का लाला ॥3||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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