
जो आया वो जाएगा, दुनिया एक सराय
कोई आगे चल दिया, कोई पीछे जाय।|
क्या लाया था साथ में, क्या जाएगा साथ
आना खाली हाथ है, जाना खाली हाथ।|1||
सुख में सारे यार हैं, दु:ख में साथी चार
इधर प्राण निकले उधर, हुई चिता तैयार।|2||
किस मद में फूला फिरे, क्या है तेरी साख
जिस दिन तन जल जाएगा, पड़ी मिलेगी राख।|3||
खेल-खेल बचपन गया, गई जवानी सोय
बूढ़े तन को देखकर,अब काहे को रोय।|4||
धन दौलत को देखकर,खो मत देना होश
दुनिया में सबसे बड़ा, धन होता संतोष।|5||
तन से मल के फूल-सा, पल भर में मुरझाय
कंचन काया देखकर,तू काहे इतराय।|6||
उमर बढ़ी, बचपन गया, अब तो आँखें खोल
उपर वाला जानता, तेरी सारी पोल।|7||
लोभ, मोह से, झूठ से,भाग सके तो भाग
तन की चूनर में कहीं, लग जाए ना दाग़।|8||
जिसके भीतर गूँजता, हर पल प्रभु का जाप
ऐसे प्राणी को नहीं, लगता कोई पाप।|9||
धन के साथी सब मिलें, मन का मिले न कोय
जो मन का साथी मिले, दु:ख काहे को होय।|10||
जब तक मन में लोभ है, मिटे न धन की आस
सागर तट पर कब बुझी, है प्यासे की प्यास।|11||
तन मन सब निर्मल रहें, जब छूटे संसार
प्रभु चरणों में सौंप दो, जीवन का सब भार।|12||
अंतरमन की बेल को, हरि सुमिरन से सींच
फूलों-सा मुस्काएगा, सौं काँटों के बीच।|13||
प्रेम का धागा जो करे, कर ना सके तलवार
सारी दुनिया जीत ले, ढ़ाई आख़र प्यार।|14||
जब तक साँसें चल रहीं, कर लीजै उपकार
वरना खाली जाएगा, परमपिता के द्वार।|15||
मन ही मन में राखिए, प्रभु मिलन का राज़
जीवन के इस भोर में, सुन चुप की आवाज़।|16||
सोने चाँदी से नहीं, देते हैं आशीश
जो सुमिरन करता उसे, मिलते हैं जगदीश।|17||
वैसा ही आनंद दे, हरि का अनहद नाद
जैसे गूँगे को मिले, मीठे गुड़ का स्वाद।|18||
कोरी-कोरी देह में, भरो भक्ति के रंग
तू हरि जी के संग है, हरि जी तेरे संग.||19||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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