
जय गणपति वंदन गणनायक
तेरी छवि अति सुंदर सुखदायक
तू चारभुजाधारी मस्तक सिंदूरी रूप निराला
है मूषक वाहन तेरो तू ही जग का रखवाला
तेरी सुंदर मूरत मन में तू पालक सिद्ध विनायक ||१||
मन मंदिर का अंधियारा तेरो नाम से हो उजियारा
तेरे नाम की ज्योति जले तो मन में बहती सुखधारा
तेरो सुमिरन हर पूजन में ,सबसे पहेले फलदायक ||२||
तेरे नाम को जिसने ध्याया ,उस पर रहती सुख छाया
मेरे रोम -रोम अंतर में एक तेरा रूप समाया
तेरी महिमा तू ही जाने ,शिव पार्वती के बालक ||३||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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