
श्याम सुनो विनती मेरी यूँ न सताओ।
कब से खडी दर पे तेरे दरश दिखाओ॥
गले मेँ विराजे है मणियोँ की माला।
माथे पे मुकुट चमके है आला।
प्रेम भरी बंसी बजाये है लाला||1||
ब्रिज मेँ धाम तेरा है सुन्दर।
मैँ भी आयी द्वार तेरे ये सुनकर।
रूप आपका गजब हमेँ भी दिखाओ ||2||
सुनते हैँ तू है भक्तोँ का प्रतिपाला।
पड़ा है अब मुझ पापी से पाला।
मानुंगी तुझे दाता बिगड़ी जो मेरी बनाओ ||3||
तीनोँ लोकोँ मेँ जाहिर है तुम्हारी दातारी।
मैं भी आई हूँ बनके भिखारी।
दे दो बल बुद्धि विद्या ज्ञान बढाओ ||4||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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