बन नौ रसमय मुरली तुझको,

बन नौ रसमय मुरली तुझको,



बन नौ रसमय मुरली तुझको,
मुरलीधर तुझे नमन करुँ,
 नमन करुँ, तुझे नमन करुँ।

जीवन के ये तीन रुप हैं
वृद्ध, बालपन, यौवन
समय की मुरली सभी में गूँजे
भीगे तान में तन-मन
जगते, सोते, अध-सोये भी
हर स्वर तुझको नमन करुँ।|1||

जल, थल, नभ, में तेरा स्वर है
तू ही है मेरी पूजा
तू ही मेरी मित्र शत्रु है
कोई इष्ट न दूजा
स्वर समझूँ पर शब्द न सूझें
कैसे तुझको नमन करुँ||2||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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