
नटवर नागर,हे जगदीश्वर
लीला तुने कैसी रचाई
द्वापर में तू बना कन्हैया
कलयुग में तू बना निमाई|
मूरख है हम अज्ञानी है हम
तुझको ना पहचान सके
क्षमा करो हमें हरि
महिमा तेरी ना जान सके
हम तो नर ही समझे तुझको
नारायण ना दिया दिखाई||1||
उस युग में था बाँके बिहारी
श्यामल सांवर रंग तेरा
दूध दही मिश्री सा गोरा
अब है हर अंग तेरा
उस युग में तुने खाया माखन
इस युग में तू खाए मिठाई||2||
तब वृन्दावन में रहता था तू
अब नवद्वीप है धाम तेरा
रूप अलग है नाम अलग है
ओर अलग है काम तेरा
इस युग में तू करता नर्तन
उस युग में तूने बंसी बजाई ||3||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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