ना जाओ कन्हैया नजरिया से बचके मै कहती हू मोहन चरण से लिपट के

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ना जाओ कन्हैया नजरिया से बचके
 मै कहती हू मोहन चरण से लिपट के

ये भोली सुरतिया ओर बांकी अदाएं
कहाँ देख पाउंगी प्यारे के लटके
ना जाओ कन्हैया नजरिया ......||1||

जायेगी दासी कहाँ तुम बिना ये
तुम हो अंतर्यामी सभी के ही घट के
ना जाओ कन्हैया नजरिया .......||2||

ये बंसी का वट है ओर कुञ्ज लताएँ
पुकारेंगे पत्थर तुम्हे यमुना तट के
ना जाओ कन्हैया नजरिया .........||3||

बंधे प्रेम डोरी से हम तुम कन्हैया
चले आओगे तुम वहाँ से पलट के
ना जाओ कन्हैया नजरिया से .......||4||

सहज है ना मोहन हमें भूल पाना
तुम्हे रोक लेंगे रसिक जन सिमट के
ना जाओ कन्हैया नजरिया ..........||5||

''जय श्री राधे कृष्णा ''


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