
सार कृष्ण का, प्यार कृष्ण का
सांस-सांस आधार कृष्ण का|
नयनों में यह छटा मनोहर
कण कण में आभार कृष्ण का||1||
मैं उसका हूँ, जब यह जाना
दिखता सब संसार कृष्ण का||2||
सोच-समझ कर लिखता हूँ मैं
सोचों पर अधिकार कृष्ण का||3||
जब देखा घबराया अर्जुन
है इतना विस्तार कृष्ण का||4||
मोर पंख माथे पर धारे
करूणा है श्रृंगार कृष्ण का||5||
माँगा सूरज की किरणों से
सुमिरन बारम्बार कृष्ण का||6||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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