
सबसे ऊँची प्रेम सगाई
जूठे बेर सबरी के खाए
प्रेम विवस रघुराई
सबसे ऊँची प्रेम सगाई ||1||
दुर्योधन कि मेवा त्यागी,
साग विदुर घर खायी
सबसे ऊँची प्रेम सगाई ||2||
प्रेम विवस अर्जुन रथ हांक्यो,
भूल गए ठकुराई
सबसे ऊँची प्रेम सगाई ||3||
ऐसी प्रीति बढ़ी वृन्दावन ,
गोपियाँ नाच नचाई
सबसे ऊँची प्रेम सगाई ||4||
सूर कहॆ कछु लायक नाहीं ,
कही विधि करत बड़ाई
सबसे ऊँची प्रेम सगाई ||5||
''जय श्री राधे कृष्णा ''
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